सुबह के सूरज के लिये
रात का यूँ ढल जाना भी अच्छा है
रिश्तों पर काली घटा छाने से पहले
तुम्हारा कस कर बरश जाना भी अच्छा है
अपनो के बीच प्यार के फूल खिलाये रखने के लिये
काँटों पर चल जाना भी अच्छा है
अहम की दीवारें उठ खड़ी होने से पहले
तुम्हारा झुक जाना भी अच्छा है
अपनो की एक मूस्कान के लिये
थोड़ा दर्द सह जाना भी अच्छा है
दिलों को शोर गुल से बचाने के लिये
तुम्हारा चुप हो जाना भी अच्छा है
रिश्तों में मधुरता बनाये रखने के लिये
दो चार कङवे घूट पी जाना भी अच्छा है
अनमोल जज़्बातों के इस बाजार मे
तुम्हारा बिक जाना भी अच्छा है
किसी अपने को जीतने के लिये
खुद हार जाना भी अच्छा है
ये रिश्ते है
शतरंज की कोई बाज़ी नही
यहाँ पलट वार से चूक जाना भी अच्छा है
प्यार के इस खेल मे
हर बार हार कर जीत जाना ही अच्छा है .....
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