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Monday, 16 April 2018

हकीक़त के छाले

image-credit~Google


मुझे लगते ख़्वाबों के ये अफ़साने है प्यारे बड़े
असल में तो दुखते है हकीक़त के छाले बड़े

किसे कहूँ यार अपना,नहीं कोई अब दिलदार अपना
दिल को मेरे खलते हैं अपनों के ये दिखावे बड़े

लम्हा है ख़ुशी का जी भर के मुस्कुराने दो इन्हें
मेरी आँखों ने सैलाब ग़मों के है बाअदब संभाले बड़े

ऊँचें मकानों में ही नहीं रहा करते अमीर सभी
मिट्टी के इन महलों में भी बसते है दिलवाले बड़े

रोशनी का ज़रिया इक ये आफ़्ताब ही तो नहीं
चराग़ उम्मीदों के भी करते हैं जहां में उजाले बड़े

शिवानी मौर्य
©vibespositiveonly

Wednesday, 20 December 2017

जिंदगी है जिंदादिली के लिए..😊




बहुत कुछ खोना पड़ता है 
कुछ थोड़ा-सा पाने के लिए
तिनका-तिनका संजोना पड़ता है 
यहाँ आशियां बनाने के लिए..

खुद ही मरहम लगाना पड़ता है 
दर्द के शरारों को सुखाने के लिए
एक-एक हसीं का हिसाब देना पड़ता है 
यहाँ रत्ती भर खिलखिलाने के लिए..

गिरेबां को सदाक़त से सजाना पड़ता है 
अपने किरदार को महकाने के लिए
काँटों के बीच पलना पड़ता है 
यहाँ गुलाब-सा खिल जाने के लिए.. 

सूर्य की तरह खुद को जलाना पड़ता है 
धुप अपने आँगन में लाने के लिए 
आँख हो भरी फिर भी मुस्कुराना पड़ता है 
यहाँ ग़मों को शिकस्त का मज़ा चखाने के लिए..

©vibespositiveonly

                                  

Saturday, 16 December 2017

मैं उम्मीद हूँ



माना अँधेरा घना है पसरा हर ओर
पर आस का चमकीला सितारा
मैं इसमें ओझल होने कैसे दूँ
मैं उम्मीद हूँ,तुम्हें ना उम्मीद होने कैसे दूँ|

माना वीरान है दिल की ज़मीं
पर बीज तमन्ना का उगाये बगैर
मैं इसे बंजर होने कैसे दूँ
मैं उम्मीद हूँ,तुम्हें ना उम्मीद होने कैसे दूँ|

माना पाँव में है छाले बड़े
पर बीच डगर में रूककर
मैं इन्हें विश्राम करने कैसे दूँ
मैं उम्मीद हूँ,तुम्हें ना उम्मीद होने कैसे दूँ|

माना पंख होंसलों के है पस्त
पर क्षितिज तक उड़ान भरे बगैर
मैं इन्हें थकने कैसे दूँ
मैं उम्मीद हूँ,तुम्हें ना उम्मीद होने कैसे दूँ|

माना ख़वाब है बड़े महंगे इस शहर में
पर इन सपनीली आँखों को
मैं गरीब होने कैसे दूँ
मैं उम्मीद हूँ,तुम्हें ना उम्मीद होने कैसे दूँ|

माना साहस है टुकड़ो में छिटका पड़ा
पर किसी सस्ते कांच की भांति
मैं इसे बिखर जाने कैसे दूँ
मैं उम्मीद हूँ,तुम्हें ना उम्मीद होने कैसे दूँ|

गिरकर उठने का,खोकर पाने का
उजड़ कर बसने का ये सिलसिला टूटने कैसे दूँ
हाँथ मेरे दामन से तुम्हारा छूटने कैसे दूँ
मैं उम्मीद हूँ,तुम्हें ना उम्मीद होने कैसे दूँ||

Ⓒvibespositiveonly