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Thursday, 14 September 2017

तुम्हें लिख दूँ ..💘

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मैं ग़र ढलती संध्या ,तो तुम्हे सुबह का सूरज लिख दूँ..
मैं ग़र गर्मी की तपिश,तो तुम्हें सावन की फुहार लिख दूँ ..
मैं ग़र धरा,तो तुम्हें नीला आकाश लिख दूँ..
मैं ग़र आगाज़ नया ,तो तुम्हें खूबसूरत अंजाम लिख दूँ..
मैं ग़र पंख बेबाक ,तो तुम्हें ऊँचा परवाज़ लिख दूँ..
मैं ग़र नदी इठलाती ,तो तुम्हें गहरा सागर लिख दूँ..
मैं ग़र फूल कोमल ,तो तुम्हें मस्त बहार लिख दूँ..
मैं ग़र रात अन्धयारी ,तो तुम्हें चंदा चकोरा लिख दूँ..
मैं ग़र हृदय अपार, तो तुम्हें धड़कन हर बार लिख दूँ..
मैं ग़र श्वांस जीवन की,तो तुम्हें प्राणों का सार लिख दूँ..
मैं ग़र तरंग सप्तरंगी,तो तुम्हें सुनहेरी उमंग लिख दूँ..
मैं ग़र ख्वाहिश अधूरी ,तो तुम्हें मुकम्मल ख्वाब लिख दूँ..
मैं ग़र शब्द निरर्थक ,तो तुम्हें अर्थ सार्थक लिख दूँ..
मैं ग़र बिखरे अल्फ़ाज़,तो तुम्हें मधुर कविता लिख दूँ..
मैं ग़र उलझन बेहिसाब ,तो तुम्हें सुकून लिख दूँ ..
मैं ग़र नैना सूने,तो तुम्हें कजरे की धार लिख दूँ..
मैं ग़र पाक इबादत ,तो तुम्हें रहमते खुदा लिख दूँ..
मैं ग़र तन मिट्टी का,तो तुम्हें अमर आत्मा लिख दूँ..

22 comments:

  1. This comment has been removed by the author.

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  2. very nice
    thanks for sharing with us

    http://sabhindime.com/hindi-diwas-slogan-shayari-hindi/

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  3. आपकी रचना बहुत ही सराहनीय है ,शुभकामनायें ,आभार

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  4. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार 18 सितंबर 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com आप सादर आमंत्रित हैं ,धन्यवाद! "एकलव्य"

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  5. apka bahut dhanywad..par mai apse jankari chahungi ki link krne ka mtlb hai..Ap apne blog meri post ko link krenge?

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  6. आदरणीया यह एक साहित्यिक मंच है जहाँ बहुत से साहित्यकार एक मंच पर इकट्ठा होते हैं और आपकी रचना उनके द्वारा पढ़ी जाती है ये सभी आपके ब्लॉग पर कल आपकी रचना पढ़ने एवं समीक्षा हेतु पधारेंगे। आप दिए लिंक पर कल आये एवं लोगों से अपनी पहचान बढ़ाये। धन्यवाद "एकलव्य''

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  7. शुभ प्रभात बहन शिवानी
    अच्छी रचना..
    आभार
    सादर

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  8. गूगल फॉलोवर के गेजेट लगाइए
    सादर

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  9. बहुत सुन्दर...

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  10. लाजवाब !! बहुत खूब आदरणीया ।

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  11. मैं ग़र पंख बेबाक ,तो तुम्हें ऊँचा परवाज़ लिख दूँ..

    बहुत बढ़िया रचना। लाज़वाब।

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