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Thursday 28 December 2017

ऐ काश!!






ऐ परिंदे काश मैं तुझ-सी होती 
तोड़ सब बंदिशें,बेपरवाही से पंख लेती पसार
नील गगन में,मस्त पवन संग उड़ जाती 
कहीं दूर फलक में होकर बादलों पर सवार||

ऐ समुन्दर काश मैं तुझ-सी होती 
क्षितिज होता मेरा भी अम्बर के पार
अडिग,अविचल मैं अनवरत बहती जाती  
समेट हर व्यथा खुद में करती दृढ़ता का विस्तार||

ऐ कलम काश मैं तुझ-सी होती
सच ही होता मेरे हर अक्षर का आधार
हर्फ़ हर्फ़ जोड़ सुन्दर एक कविता लिखती
या ख़ामोशी से करती कुरीतियों पर प्रहार||

ऐ पुष्प काश मैं तुझ-सी होती
निश्छल,सुन्दर,सहज होता मेरा भी संसार
सबके मन को प्रेम की सुगंध से महकाती 
पतझड़ में भी खिलाती उम्मीदों की बहार||

ऐ दीप्ती काश मैं तुझ-सी होती 
उमंगों की रोशनी का होता मेरा व्यापार
कर्मपथ पर साहस की ज्योत जलाती
और करती अंधकार के सीने पर अनगिनत वार||
Ⓒvibespositiveonly



Wednesday 20 December 2017

जिंदगी है जिंदादिली के लिए..😊




बहुत कुछ खोना पड़ता है 
कुछ थोड़ा-सा पाने के लिए
तिनका-तिनका संजोना पड़ता है 
यहाँ आशियां बनाने के लिए..

खुद ही मरहम लगाना पड़ता है 
दर्द के शरारों को सुखाने के लिए
एक-एक हसीं का हिसाब देना पड़ता है 
यहाँ रत्ती भर खिलखिलाने के लिए..

गिरेबां को सदाक़त से सजाना पड़ता है 
अपने किरदार को महकाने के लिए
काँटों के बीच पलना पड़ता है 
यहाँ गुलाब-सा खिल जाने के लिए.. 

सूर्य की तरह खुद को जलाना पड़ता है 
धुप अपने आँगन में लाने के लिए 
आँख हो भरी फिर भी मुस्कुराना पड़ता है 
यहाँ ग़मों को शिकस्त का मज़ा चखाने के लिए..

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Saturday 16 December 2017

मैं उम्मीद हूँ



माना अँधेरा घना है पसरा हर ओर
पर आस का चमकीला सितारा
मैं इसमें ओझल होने कैसे दूँ
मैं उम्मीद हूँ,तुम्हें ना उम्मीद होने कैसे दूँ|

माना वीरान है दिल की ज़मीं
पर बीज तमन्ना का उगाये बगैर
मैं इसे बंजर होने कैसे दूँ
मैं उम्मीद हूँ,तुम्हें ना उम्मीद होने कैसे दूँ|

माना पाँव में है छाले बड़े
पर बीच डगर में रूककर
मैं इन्हें विश्राम करने कैसे दूँ
मैं उम्मीद हूँ,तुम्हें ना उम्मीद होने कैसे दूँ|

माना पंख होंसलों के है पस्त
पर क्षितिज तक उड़ान भरे बगैर
मैं इन्हें थकने कैसे दूँ
मैं उम्मीद हूँ,तुम्हें ना उम्मीद होने कैसे दूँ|

माना ख़वाब है बड़े महंगे इस शहर में
पर इन सपनीली आँखों को
मैं गरीब होने कैसे दूँ
मैं उम्मीद हूँ,तुम्हें ना उम्मीद होने कैसे दूँ|

माना साहस है टुकड़ो में छिटका पड़ा
पर किसी सस्ते कांच की भांति
मैं इसे बिखर जाने कैसे दूँ
मैं उम्मीद हूँ,तुम्हें ना उम्मीद होने कैसे दूँ|

गिरकर उठने का,खोकर पाने का
उजड़ कर बसने का ये सिलसिला टूटने कैसे दूँ
हाँथ मेरे दामन से तुम्हारा छूटने कैसे दूँ
मैं उम्मीद हूँ,तुम्हें ना उम्मीद होने कैसे दूँ||

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Thursday 14 December 2017

गुस्ताख़ नज़रें



ये नज़रें हैं गुस्ताख़
कहीं ये कोई हसीं भूल ऐ मेरे यार कर ना दें

तुम्हारी निगाहों से मिलकर
कहीं ये तुम्हें भी चाहत में बेक़रार कर ना दें

मेरे दिल का हाल है बुरा
कहीं ये बेपरवाही से इसका इज़हार कर ना दें

हम तो हो चुके है मोहब्बत में बर्बाद
कहीं ये तुम्हें भी जुनूने इश्क में बीमार कर ना दें

खुद तो जल रही है बनकर शमा
कहीं ये समझ तुम्हें परवाना राख़ मेरे यार कर ना दें|| 

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Wednesday 13 December 2017

उस शाम पहली दफ़ा..💖



उस शाम पहली दफ़ा..💖

जब तुम मेरे बिलकुल करीब बैठे थे
हाँ , देखा था मैंने
कुछ ख़्वाब सलोने तुम अपनी निगाहों में बुन रहे थे

तुम एक-एक कर दिल के राज़ खोल रहे थे
हाँ, देखा था मैंने
शब्दों से नहीं तुम आँखों से बोल रहे थे

तुम मेरी चंचलता को यूँ बेफिक्री से ताक रहे थे
हाँ, देखा था मैंने
जब मुझ संग तुम भी जैसे बच्चे बन रहे थे

तुम दिल के शजर के पत्तों पर मेरा नाम लिख रहे थे
हाँ,देखा था मैंने
जब जुनूने-ऐ-इश्क़ में बदनाम तुम सरेआम हो रहे थे

तुम मेरी मृगनयनी आँखों में खुद का अक्स तलाश रहे थे
हाँ,देखा था मैंने
जब इनमे डूब कर भी तुम पार लग रहे थे

तुम मेरी धड़कनों का शोर बड़ी ख़ामोशी से सुन रहे थे
हाँ, देखा था मैंने
जब इस शोर में भी तुम  सुकून-ऐ-राहत महसूस कर रहे थे

तुम ठण्ड से ठिठुरती उस शाम में गुनगुनी धूप से लग रहे थे
हाँ, देखा था ना तुमने
जब साँझ के सूर्य की भांति तुम मुझमे ढल रहे थे ||
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