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मैं नहीं जानती थी प्रेम के रंग कैसे होते है
तुमसे मिलकर जाना प्रेम में इंद्रधनुष ऐसे होते है
प्रेम में अधरों से किये इज़हार कैसे होते है
तुमसे मिलकर जाना आँखों ही आँखों में इक़रार ऐसे होते है
प्रेम में दो जिस्म एक जान कैसे होते है
तुमसे मिलकर जाना एक रूह के दो ठिकाने ऐसे होते है
प्रेम में कसमें वादों के सिलसिले कैसे होते है
तुमसे मिलकर जाना बिन शर्तो में बंधे बंधन ऐसे होते है
प्रेम में करवटों से भरे इंतज़ार के फ़साने कैसे होते है
तुमसे मिलकर जाना चांदनी के धागों से बुने ख़्वाब ऐसे होते है
प्रेम में शमा परवाने के अफ़साने कैसे होते है
तुमसे मिलकर जाना खुद से बेगाने,दीवाने ऐसे होते है
प्रेम में 'मैं' और 'तुम' जाने 'हम' कैसे होते है
तुमसे मिलकर जाना 'हम' में 'तुम', 'तुम' में 'हम' ऐसे होते है||
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