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Saturday, 16 September 2017

इंतज़ार



वो आँखें
जो रात-रात जग कर
तुमको  सुलाया करती थी
हाँ, उन सूनी, धीमी आँखों
को भी इंतज़ार है..

वो आलिंगन
जो अक्सर खुद में समेट कर
तुमको महफूज़ रखा करता  था
हाँ, उस कमज़ोर आलिंगन
को भी इंतज़ार है..

वो उँगलियाँ
जो थम कर नन्हे हाँथ
तुमको चलाया करती थी
हाँ,उन बेबस उँगलियों
को भी इंतज़ार है..

वो काला टीका
जो हर दफ़ा रक्षक बन
तुमको बुरी नज़रों से बचाया करता था
हाँ,उस सफ़ेद पड़ गये टीके
को भी इंतज़ार है..

वो निवाले
जो बस एक और,अच्छा ये आख़री
बोल तुमको भूख से ज्यादा खिलाया करती थी
हाँ,उन भूखे निवालों
को भी इंतज़ार है..

वो आशीर्वाद
जो किस्मत को भी पीछे छोड़
तुमको सफलता की सीढ़ी चढ़ाया करता था
हाँ,उस भूले बिसरे आशीष
को भी इंतज़ार है..

वो कंधें
जो बड़े शौक से
तुमको मेलों की सैर कराया करते थे
हाँ,उन थके कांधों
को भी इंतज़ार है..

वो लाड़
जो बेहिसाब बेमतलब ही
तुम पर लुट जाया करता था
हाँ,उस तनिक भी कम ना हुए लाड़
को भी इंतज़ार है..

वो डांट
जो हर गलती पर
तुमको सही-गलत का पाठ पढ़ाया करती थी
हाँ,उस ख़ामोश पड़ी डांट
को भी इंतज़ार है..

वो दिल
जो जानता है,तुम अब ना लौटोगे
फिर भी अनजान बन जाया करता है
हाँ,उस टूटे दिल
को भी इंतज़ार है..

वो वादा
जो कर गए थे
तुम लौट कर आने का
वापस संग घर ले जाने का
हाँ,अधूरे ही सही पर उस वादे
को आज भी इंतज़ार है
बेटा तुम्हारे लौट आने का...!

©vibespositiveonly

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