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Wednesday, 13 December 2017

उस शाम पहली दफ़ा..💖



उस शाम पहली दफ़ा..💖

जब तुम मेरे बिलकुल करीब बैठे थे
हाँ , देखा था मैंने
कुछ ख़्वाब सलोने तुम अपनी निगाहों में बुन रहे थे

तुम एक-एक कर दिल के राज़ खोल रहे थे
हाँ, देखा था मैंने
शब्दों से नहीं तुम आँखों से बोल रहे थे

तुम मेरी चंचलता को यूँ बेफिक्री से ताक रहे थे
हाँ, देखा था मैंने
जब मुझ संग तुम भी जैसे बच्चे बन रहे थे

तुम दिल के शजर के पत्तों पर मेरा नाम लिख रहे थे
हाँ,देखा था मैंने
जब जुनूने-ऐ-इश्क़ में बदनाम तुम सरेआम हो रहे थे

तुम मेरी मृगनयनी आँखों में खुद का अक्स तलाश रहे थे
हाँ,देखा था मैंने
जब इनमे डूब कर भी तुम पार लग रहे थे

तुम मेरी धड़कनों का शोर बड़ी ख़ामोशी से सुन रहे थे
हाँ, देखा था मैंने
जब इस शोर में भी तुम  सुकून-ऐ-राहत महसूस कर रहे थे

तुम ठण्ड से ठिठुरती उस शाम में गुनगुनी धूप से लग रहे थे
हाँ, देखा था ना तुमने
जब साँझ के सूर्य की भांति तुम मुझमे ढल रहे थे ||
Ⓒvibespositiveonly



6 comments:

  1. बहुत सुंदर शब्दों और भावों से परिपूर्ण रचना..

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    1. thankyou so much ma'am..It means a lot..
      keep dropping by:)

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  2. प्रेम में रचे बसे शब्द ...
    जैसे बिना बोले ही प्रेम हर दिशा में फ़ैल रहा हो ....
    सुन्दर रचना ...

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  3. तुम ठण्ड से ठिठुरती उस शाम में गुनगुनी धूप से लग रहे थे
    हाँ, देखा था ना तुमने
    जब साँझ के सूर्य की भांति तुम मुझमे ढल रहे थे ||
    आपकी रचना और लेखन शैली ने हमें बहुत ही प्रभावित किया है। बधाई।

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    1. धन्यवाद सर..ऐसे ही होंसला बढ़ाते रहे हमारा:)

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