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Thursday, 28 December 2017

ऐ काश!!






ऐ परिंदे काश मैं तुझ-सी होती 
तोड़ सब बंदिशें,बेपरवाही से पंख लेती पसार
नील गगन में,मस्त पवन संग उड़ जाती 
कहीं दूर फलक में होकर बादलों पर सवार||

ऐ समुन्दर काश मैं तुझ-सी होती 
क्षितिज होता मेरा भी अम्बर के पार
अडिग,अविचल मैं अनवरत बहती जाती  
समेट हर व्यथा खुद में करती दृढ़ता का विस्तार||

ऐ कलम काश मैं तुझ-सी होती
सच ही होता मेरे हर अक्षर का आधार
हर्फ़ हर्फ़ जोड़ सुन्दर एक कविता लिखती
या ख़ामोशी से करती कुरीतियों पर प्रहार||

ऐ पुष्प काश मैं तुझ-सी होती
निश्छल,सुन्दर,सहज होता मेरा भी संसार
सबके मन को प्रेम की सुगंध से महकाती 
पतझड़ में भी खिलाती उम्मीदों की बहार||

ऐ दीप्ती काश मैं तुझ-सी होती 
उमंगों की रोशनी का होता मेरा व्यापार
कर्मपथ पर साहस की ज्योत जलाती
और करती अंधकार के सीने पर अनगिनत वार||
Ⓒvibespositiveonly



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